(स्वस्थ आदमी में प्रति घनमीटर इनकी एक क्रांतिक संख्या रहती है ।
2.
कालान्तर में हुआ यह कि इन मछलियों की संख्या एक उस क्रांतिक संख्या से भी कम हो गयी जो किसी भी जैव पापुलेशन-जनसँख्या के अस्तित्व रक्षा के लिए जरुरी है....
3.
एक अध्धय्यन के मुताबिक़ जो लोग इंटरनेट सर्फिंग ज्यादा करतें हैं उनके शुक्राणु तादाद में कमतर हो सकतें हैं सामान्न्य संख्या से. (स्वस्थ आदमी में प्रति घनमीटर इनकी एक क्रांतिक संख्या रहती है ।).